Tuesday, October 5, 2010

फासले

फासले ऐसे भी होंगे
कभी सोचा न था...
दूरी दिल मे भी होगी,
कभी सोचा न था...

राह ही राह मे
पांव खो जायेंगे
सपने खो जायेंगे
सांस थम जायेगी

कभी सोचा न था...

वफा, कसमो की रसमे
फासलो मे खो जायेगी
खिल रहे थे जो गुल
खुशबू खो जायेगी...

कभी सोचा न था...

जिंदगी ना रही अब
जिंदगी हमसफर
रह गये फासले अब
रह गयी जुस्तजू हमसफर

(Santosh.... For 1 friend ! 5 oct 2010, shaniwarwada, 8 pm)

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